भारत के दक्षिणी-पूर्वी समुद्री तटों में उगने वाले लाल-भूरे रंग के शैवाल भी फसल की गुणवत्ता के साथ पैदावार में बढ़ोत्तरी हेतु भी काफी सहायक साबित होते हैं। इफको (IFFCO) द्वारा इस समुद्री शैवाल के प्रयोग से जैव उर्वरक भी निर्मित किया जाता है। कृषि क्षेत्र को और ज्यादा सुविधाजनक बनाने हेतु केंद्र व राज्य सरकारें एवं वैज्ञानिक निरंतर नवीन प्रयोग करने में प्रयासरत रहते हैं। खेती-किसानी के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों के साथ मशीनों को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इनका उपयोग करने के लिए कृषकों को अधिक खर्च वहन ना करना पड़े। इस वजह से बहुत सारी योजनाएं भी लागू की गयी हैं और आज भी बनाई जा रही हैं। इन समस्त प्रयासों का एकमात्र लक्ष्य फसल की गुणवत्ता एवं पैदावार में बेहतरीन करना है। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए फसलीय पैदावार अच्छी दिलाने में जैविक खाद व उर्वरक स्थायी साधन की भूमिका निभा रहे हैं। जैविक खाद तैयार करना कोई कठिन कार्य नहीं है। किसान अपनी जरूरत के हिसाब से अपने गांव में ही जैविक खाद निर्मित कर सकते हैं। परंतु, मृदा का स्वास्थ्य एवं फसल के समुचित विकास हेतु कुछ पोषक तत्वों की भी आवश्यकता पड़ती है, जिसको उर्वरकों के उपयोग से पूर्ण किया जाता है। वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या यह है, कि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मृदा की शक्ति पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इसलिए ही जैव उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ाने और उपयोग में लाने की राय दी जाती है। समुद्री शैवाल जैव उर्वरक का अच्छा खासा स्त्रोत माना जाता है। जी हां, भारत में नैनो यूरिया (Nano Urea) एवं नैनो डीएपी (Nano DAP) को लॉन्च करने वाली कंपनी इफको ने समुद्री शैवाल के प्रयोग से बेहतरीन जैव उर्वरक (Bio Fertilizer) निर्मित किया है। जो कि फसल की गुणवत्ता एवं पैदावार को अच्छा करने में काफी सहायक माना जा रहा है।
देश के दक्षिण-पूर्वी तटों से सटे समुद्र में उत्पन्न होने वाले लाल-भूरे रंग के शैवालों के माध्यम से इफको ने 'सागरिका' उत्पाद निर्मित किया है। इसकी सहायता से पौधों की उन्नति व विकास के साथ-साथ फसलीय उत्पादन की बढ़ोत्तरी में काफी सहायता प्राप्त होती है। इफको वेबसाइट पर दी गयी जानकारी के मुताबिक, इफको के सागरिका उत्पाद में 28% कार्बोहाइड्रेट, प्राकृतिक हार्मोन, समुद्री शैवाल, प्रोटीन सहित विटामिन जैसे कई सारे पोषक तत्व उपलब्ध हैं।
इफको की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, समुद्री शैवाल से निर्मित सागरिका का विशेष ध्यान फसल की गुणवत्ता में बेहतरी लाना है। इसकी सहायता से फल एवं फूल का आकार बढ़ाने, प्रतिकूल परिस्थितियों में फसल का संरक्षण, मृदा की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने एवं पौधों की उन्नति व विकास हेतु आंतरिक क्रियाओं को बढ़ावा देने का कार्य किया जाता है। किसान इसका जरूरत के हिसाब से फल, फूल, सब्जियों, अनाज, दलहन, तिलहन की फसलों पर छिड़काव कर सकते हैं।
बहुत सारे किसान वर्षों से रसायनिक कृषि करते आ रहे हैं। इसलिए वह एकदम से ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming)की दिशा में बढ़ने से घबराते हैं। क्योंकि किसानों को फसलीय उत्पादन में घटोत्तरी का काफी भय रहता है। इस प्रकार की स्थिति में इफको सागरिका किसानों के लिए काफी हद तक सहायक भूमिका निभा सकता है। यह एक रसायन रहित उर्वरक व पोषक उत्पाद है, जो कि फसल को बिना नुकसान पहुंचाए उत्पादन को बढ़ाने में कारगर साबित होता है। किसान हर प्रकार की फसल पर इफको सागरिका का दो बार छिड़काव कर सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो 30 दिन के अंतर्गत सागरिका का छिड़काव करने से बेहतर नतीजे देखने को मिलते हैं। यह तकरीबन 500 से 600 रुपये प्रति लीटर के भाव पर विक्रय की जाती है। किसान एक लीटर सागरिका का पानी में मिश्रण कर एक एकड़ फसल पर छिड़काव किया जा सकता है।
धानुका कंपनी द्वारा नए फर्टिलाइजर और कीटनाशकों को लांच किया गया है, यह कीटनाशक और फर्टिलाइजर ज्यादातर किसानों के लिए सब्जी उगाने के तौर पर निर्मित किया गया है।
यह शक्तिशाली और प्रभावी कीटनाशक है। यह कीटनाशक थ्रिप्स, सफ़ेद मक्खी, फल छेदक कीट, जैसिड, अंकुर और पत्ते छेदक कीटों को नियंत्रित करने की प्रभावी क्षमता रखता है।
यह पौधे से रस को चूसने वाले कीटों पर भी नियंत्रण रखता है। यह किसानों के लिए काफी सहायक और प्रभावी कीटनाशक है, यह फसल के नुक्सान पर भी नियंत्रण बनाये रखता है।
एग्रो केमिकल कंपनी धानुका ने खेती के लिए नया कीटनाशक जिसका नाम 'लानेवो' और बायो फर्टिलाइजर 'माईकोर सुपर' लांच किया है। धानुका द्वारा यह फर्टिलाइजर और कीटनाशक खेतों में क्रान्ति लाने के लिए निर्मित किया गया है।
यह बायो फर्टिलाइजर और कीटनाशक 'माईकोर सुपर' तिरुपति आंध्र प्रदेश, नासिक (महाराष्ट्र ) और बेंगलुरु (कर्नाटक) में लांच किया गया है। बहुत जल्द यह देश के अन्य सभी हिस्सों में भी लांच कर दिया जाएगा।
‘लानेवो’ कीटनाशक को जापान के निस्सान केमिकल कारपोरेशन की भागीदारी के साथ तैयार किया गया है। ‘लानेवो’एक साथ दो लाभ प्रदान करता है, यह चूसने और चबाने वाले दोनों प्रकार के कीटों में सहायक होता है।
यह बायो फर्टिलाइजर स्वस्थ फसल और अधिक पैदावार के उद्देश्य से निर्मित किया गया है। इन दोनों प्रोडक्ट्स के लांच होने पर राहुल धानुका जो एग्रीटेक कंपनी लिमिटेड के जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर है, यह दोनों इनपुट धानुका के विकास और कृषि के लिए नए समाधान उपलब्ध कराते है।
धानुका कंपनी का कहना है यह कीटनाशक खास तौर पर उन किसानों के लिए लांच किया गया है जो ज्यादातर सब्जी उत्पादन का कार्य करते है।
यह शक्तिशाली और प्रभावी कीटनाशक है जो की थ्रिप्स, सफेद मक्खी, जैसिड, फल छेदक कीट अंकुर एवं पत्ती कीट को प्रभावी रूप से नियंत्रित करता है। यह कीटनाशक रस चूसने और पत्तियों को चबाने वाले कीटों को देखते हुए किसानों के लिए निर्मित किया गया है।
यह कीटनाशक, कीटनाशक अधिनियम 1968 की धारा 9 (3 ) के अंतर्गत निर्मित किया गया है। यह कीटनाशक जापान की निस्सान केमिकल कारपोरेशन के सहयोग के साथ लांच किया गया है।
यह कीटनाशक बहुत ही प्रभावित तरीके से कार्य करता है। यह कीटनाशक कीटों की प्रतिरोधक क्षमता को कम करके पत्तियों के निचले हिस्सों में छुपे हुए कीटों तक पहुंचकर उन्हें नष्ट करता है।
लानेवो का उपयोग हम मिर्च, टमाटर और बैगन की फसलों में आसानी से कर सकते है। जापान के निस्सान केमिकल के जनरल मैनेजर वाई फुकागावा सान ने खा यह कीटो को बहुत ही प्रभावी रूप से नियंत्रित करता है। पत्तियों के निचले हिस्से जहां पर कीट छुपे हुए होते है उस जगह को भी सुरक्षित रखते है।